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शनिवार, 18 अगस्त 2012

अपनी परेशानी मुझे दे दो ...


अपनी परेशानी मुझे दे दो ...






           
              लिबी राणा " निवेदिता " के लिए इस गाने में अभिनय का भला कितना स्कोप था ... प्यानो पर बैठकर अभिनय के लिए बस 3  मिनिट का समय ही तो था ... पर उन 3  मिनटों इस छोटे अंतराल में लिबी राणा ने अपने उम्दा अभिनय से इस गीत में गजब का  सम्मोहन भर दिया है  ...1964  में बनी फिल्म " शगून " का यह खुबसुरत गीत जगजीत कौर जी की अपनी एक अलग पहचान को और मजबूती प्रदान करता हैं / साहिर साहब की यह उम्दा गजल,  खय्याम साहब के लाजवाब संगीत और जगजीत कौर जी की कशिश भरी आवाज में ढल कर यह ग़ज़ल अपना रंग खूब जमाती हैं /

             जब मानव मन का निश्छल प्रेम और त्याग की उच्चतम अवस्थाओं के आसपास होता हैं तब वह ठीक इसी तरह की मानसिकता से दो चार होता है /  इन अवस्थाओं में मन फिर अपने आपे से बाहर जाकर किसी और के हितसुख की चाह इस कदर उदात्त भावनाओं में डूब कर करता हैं की वह दुआ बन-बन आसमान तक उठ जाती हैं /
   
                वह अपने प्रिय की खातिर इतना अधिक फिक्रमंद हो उठता है की वह उसकी हर मुश्किल को , हर हार को अपने सर लेकर उसे खुशहाल देखना चाहता हैं / अपने प्रिय की खातिर ज़माने से भी लड़ना पड़े तो लड़ना चाहता है /

                यहीं उदात्त प्रेम की भावना भौतिक धरातल से ऊपर उठकर अध्यात्मिक धरातल को जब छूती हैं तो सूफियाना होकर फिर चारो दिशाओं में .. ऊपर नीचे हर तरफ प्राकृतिक झरनों सी झर- झर बहती हैं ... किसी बादल सी बेपरवाह होकर हर छत को भिगोती हैं ... किसी बच्चे की मुस्कान सी अनमोल होकर सहज उपलब्ध होती हैं ... किसी पक्षी की तरह हर आँगन फुदकती हैं चहकती हैं  /