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सोमवार, 13 अगस्त 2012

आज की युवा पीड़ी , गाँधी और उनके युग की एक झलक ...


                   इनाम जीता हुआ व्यक्ति बेईमानी कर ही नहीं सकता और ... बड़ा दानी व्यक्ति गलती करें तो कोई फर्क नहीं पड़ता..... यहीं सन्देश आजकल परोसा जा रहा है .... भाई जी गलती अगर हम करे तो वह हमारे मैले आँचल पर कम दिखाई देगी ... पर किसी उजली चादर वाले के दामन पर ज्यादा ... बस यहीं से विनम्रता का पहलु सामने आता है ...

                 हमारे जैसा इन्सान अपनी गलती मानने में शायद अपराधिक देरी कर जाय ...पर एक उजाला और समझदार इन्सान यहीं पर विनम्रता से उसे कबूल करता है ... कई बार तो वह स्वतः संज्ञान लेकर आगे बढकर कोई बताये इससे पहले अपनी चुक मान लेता है...यूँ करके वह औरों के लिए आदर्श और अपनी नजरों में कहीं अधिक उठ जाता है ... उजले व्यक्तित्व  का इन्सान कभी भी अपनी मामूली सी गलती को हिमालय सा बड़ा और दूसरों की बड़ी गलतियों को मुआफ करने की गजब ताकत रखता है ... इसी से ज़माने के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत होता है की हर मानव से गलती संभव है ... इसलिए वह अकर्मण्य न बने ... डरें नहीं ... और न ही घबराये ... पर गलती करके उसे कबूल न करके दूसरी ओर उल्टा सरकार या किसी को भी जो उसके जुर्म की याद दिलाये उसे शुक्रिया कहने की जगह कोसना या धिक्कारना ठीक तो नहीं ...

                     निंदक नियरे राखिये... कबीर दास जी की अनूठी और काम की सिख है..... पर आज के माहौल में यह बात लोग समझने को राजी नहीं ... अन्ना का सप्पोर्ट करने में और उनकी अच्छी बातों के अनुरूप आचरण करने में यही फर्क है .... इसीलिए उनके भक्त सप्पोर्ट करने का आसान रास्ता अपनाते है .... और ऐसा करने को वह टीम भी कहती है ...किसी भली बात को सप्पोर्ट करना उस बात को आचरण में उतारने से कहीं सरल है /

                   आज कल सत्याग्रह का प्रचार तो आये दिन दिखने -सुनने में आ रहा है, परन्तु इसका प्रभाव कहीं कुछ ठोस दिखाई नहीं पड़ता, लालच भ्रष्टाचार की लगाम है l लेकिन इस लगाम पर कोई लगाम नहीं... वहीँ ईमानदारी का गहना है विनम्रता और न्यायप्रियता, इस पर कोई विचार नहीं ... अतः एक हथियार फिर भी मौजूद है वह है सतर्कता ... एक-एक का मन सतर्क रहे इसके उपाय भी है ... मन में जब कभी लालच जगे ... बेईमानी जगे ... घमंड का प्रादुर्भाव हो ... बस वहीँ लगाम लगे ...तो असल बात बने ... वर्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लडाई भी एक आडम्बर बनकर रह जाएगी .!!!

                इससे क्या यह सन्देश जाने अनजाने नहीं जाता की एक ओर तो बड़े और ताकतवर लोग कानून से बच जाते है ... वहीँ दूसरी और समाज सेवी और महान लोग गलती की सजा से छुट के पुरे हक़दार है ... फंसना तो बीच के लोगों को ही है .... गुनाह मान लेने को बड़प्पन की निशानी यूँ ही नहीं कहा जाता ... आज भाई केजरीवाल ने फिर पैसा जमा करते वक्त सरकार को जमकर कोसा ... उन्हें कानून से कोई राहत की उम्मीद नहीं थी ......... वर्ना वह यूँ ही कब हार मानते !

                 गांधीवाद का सहारा तो बस दुकान ज़माने के लिए है / इस आन्दोलन की शुरुआत में यह उम्मीद जगी थी की अब शायद आज की युवा पीड़ी , गाँधी और उनके युग की एक झलक देखकर अपने अतीत पर गर्व करेगी ... पर गाँधी ऐसे तो नहीं थे ? so let follow Anna inspite to support !!!