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मंगलवार, 7 अगस्त 2012

पुल तुझे सलाम ....






         बारिश नहीं होती तो चिंता ... हो जाएँ तो चिंता ... यह तो चलता रहेगा ... पर अगर किसी पर इसका कोई असर  नहीं होता और वो पूरी बहादुरी से हर हाल में डट कर खड़ा रहता हैं ...  तो ... वह हैं हमारा माँ नर्मदा नदी पर " मोर टक्का स्थित ८० साल पुराना एक " आर्क तकनीक " से बना पुल ... जब पानी सर से ऊपर बह रहा होता हैं तब भी ... पानी के नीचे चुपचाप खड़ा रहता हैं ... जब गर्मी और सर्दियों में इसकी उपरी सतह खराब हो जाती हैं ... गड्डे पड़ जाते हैं ...  तब भी किसी से कोई शिकायत नहीं करता ... न ही करता कोई चर्चा इस बात की ,  कि अवागमन कितना बड़ा और उसका भार अब उठाये नहीं उठाता ...  

               इस पुल को आज सलाम करने का जी चाहता हैं ... हमने नयी तकनीक अपनाई ... बड़े बड़े कालेज बनाये ... बड़े बड़े विद्वान् इंजीनियर भी खड़े किये ... पुरानी " आर्क तकनीक "  को बेकार भी साबित किया ... हम अपने ज्ञान पर विस्मित अचंभित होते रहे ... पर हाय ... इस जैसा एक पुल अभी तक नहीं बना पायें ... जो हमें अपनी असफलता पर कोई नया बहाना गढ़ने का कोई मौका दे ... इसके  साथ बने ... इसके बाद बने पुलों को इस बुजुर्ग पुल ने असमय काल के गाल में समाते हुए देखा हैं ... सचमुच बड़ा बहादुर हैं .. यह बुजुर्ग पुल ... इसको सलाम ... इसको बनने वाले मजदूरों को सलाम ... इसके इंजीनियरों को सलाम ... भला हो !!