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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

तुम जागो ... मैं सो जाऊँ ...!!!

तुम जागो ... मैं सो जाऊँ   ...!!!




                         टीम अन्ना का अब असली चेहरा उजागर होते जा रहा हैं ... उनकी टोपी का सफ़ेद रंग अब मटमैला काला पड़ता जा रहा हैं  ... आज अरविन्द केजरीवाल जी सुबह 7.00  बजे घर से एयर पोर्ट के लिए निकल गए ... जबकि उनकी फ्लाईट सुबह 10 .30  की थी ... अगर वे चाहते तो अपना रास्ता थोडा-सा बदल कर अपने घर के पास स्थित सुबह 7 .00  बजे आरभ हुए मतदान केंद्र पर जाकर एक जागरूक मतदाता होने का साबुत दे सकते थे ... मतदान करने में सुबह-सुबह केवल 10  मिनिट का समय लगता और यह सन्देश भी जाता की वे बहुत जरूरी काम को करके ही अगले जरूरी काम के लिए निकले ...  पर नहीं वे एक कुशल पर उपदेशक ही साबित हुए ... और जाने अनजाने उनका भीड़ और मिडिया में छाये रहने का लोभ भी उजागर हो गया / उन्हें भीड़ से उर्जा मिलती हैं ... यह वे नहीं अन्ना भी कई बार कह चुके हैं पर सही नेतृत्व वह होता हैं जो भीड़ से उर्जा लेता नहीं बल्कि भीड़ को नयी और सकारात्मक उर्जा देता है साथ ही साथ भीड़ की उर्जा को राष्ट्र - निर्माण में बदलने का माद्दा रखता हैं .... उनका मतदाता जागरूकता अभियान किन्ही और निहितार्थों के कारण चलाया जा रहा हैं अब स्पष्ट हैं /


                                         गांघी  टोपी पहन कर उसका मान भी बढाना होता हैं ... उनकी तस्वीर मंच पर लोगों को गुमराह करने के लिए या उनकी लोकप्रियता का केवल लाभ पाने की लिए नहीं लगाना चाहिए ... अगर अन्ना टीम ऐसा ही करती रही तो जनता खासकर आज के युवा जो गाँधी जी का अश्क हमारे नेतृत्व में देखने को बेताब हैं ...बहुत निराश होते हैं ... और जाने-अनजाने कथनी और करनी की समानता के सुखदायी और असरकारी  परिणामों के जीवंत प्रयोगों को देखने से से वंचित होकर गुमराह होने लगते हैं ... कहो कुछ और करों कुछ ... यही सब  तो टीम अन्ना के महत्पूर्ण सदस्य भी कर रहे हैं  इस बात को देख-देख कर आज का युवा भी ऐसा ही व्यवहार करने लगे तो फिर हम उन्हें दोष किस मुंह  से देंगे भला ?


                                           गाँधी जी यूँ ही नहीं कह गए की उनका जीवन ही उनका सन्देश हैं  हर उस उपदेश को गांधीजी ने पहले अपने जीवन में उतरा जिसका वे दूसरों को सन्देश देना चाहते थे ...  गांधीजी से एक बार किसी बहुत जरूरी सलाह मशवरे के लिए मिलने हमारे देश के कुछ बड़े-बड़े नेता सुबह-सुबह उनके आश्रम पहुंचे ...और जब गाँधी जी उनसे बात करने के लिए उठ ही रहे थे की एक बालक दौड़ता हुआ आया और कहने लगा बापू आपकी बकरी को चोट लगी हैं ... यह सुनते ही बापू ने अपना रास्ता बदल दिया ... वे अगले ही क्षण बकरी की सेवा कर रहे थे ... नेता लोगों के पास उनका इन्तेजार करने के आलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था ... भाई केजरीवाल जब गांधीजी की तस्वीर को प्रष्ठभूमि में रखकर बयान वीर बन रहे हैं तो उनकी सारी बयान बाजी सच्चाई से कोसों  दूर  होने  के  कारण धीरे-धीरे बेअसर हो रही हैं /


                                         आज का युवा केवल आज के आन्दोलन कारियों का अंध- भक्त बनाकर न रह जाये ... उनकी ओर विवेकशील होकर देखता भी रहे ... आज के इस उपभोक्तावादी वातावरण में एक के साथ एक फ्री का बहुत बोलबाला हैं / सोंचे जरा /



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