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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

आगे रहने की भी चिंता ...


             भी कोई प्रश्न उठा ही देता हैं की ... कोई हैं अब तक जो गांधीवाद के रस्ते पर पूरी तरह से चला हो ... उसका नाम बताये ...

               हाँ कोई एक नाम नहीं बताया जा सकता ... जो पूरी तरह से गाँधी के रस्ते चला हो ... पर ...  कोई थोडा बहुत अगर चला हो ... और उसका नाम जानना चाहते हो ... तो वह आपको स्वयं जानना होगा ... क्यूंकि सीधी बात हैं ... कोई नाम बताया नहीं जा सकता जो पूरी तरह से चला हो ... हाँ थोडा बहुत चले हो वैसे नाम कई हैं ... पर विवाद की गुंजाईश हमेशा रहेगी ... इसलिए इस बात को या वैसे नाम को सीधे-सीधे  पर नहीं जाना जा सकता  हैं ... हाँ अगर इस तरह से प्रयास किया जाएँ तो वे - वे नाम सामने आ सकते हैं ,  जो - जो गांधीवाद के रस्ते पर थोडा बहुत चले हैं ... और जितना जितना चले हैं उतने उतने फल ने कुदरत ने उन्हें दिए हैं ... बिना इस भेदभाव के की वे किस दल से हैं ... किस जाति  से हैं ... किस संप्रदाय को मानते हैं ...

         कोई इन्सान हो ... चाहे किसी दल का हो ... 

" अगर वह सबसे समान रूप से पेश आता हैं ...
अपनी कथनी और करनी के अंतर  को कम से कम करता जाता हैं 
सम्प्रदाय-सम्प्रदाय में भेद नहीं करता और सबके प्रति एकसमान भाव और आदर रखता हैं 
अपने किसी कृत्य से किसी का अहित नहीं करता ..." 

                    तो वह गाँधीवादी ही है ... चाहे वह गांधीवाद को माने या ना माने  कोई फर्क नहीं ...

                  फिर चाहे वो अपने वाद को कोई नाम दे .... अगर वह जैसा सोचता हैं वैसा आचरण में उतारता  जाता हैं ... तो कुदरत उसे उसके भले या बुरे काम का फल देते समय यह नहीं सोचती की वह किस दल से हैं .... किस सम्प्रदाय से हैं .... किस मान्यता का हैं .... 

                 गांधीवाद या कोई दुसरे किसी  " भले " वाद पर कोई चला हो ...  वह चाहे थोडा सा सही पर चला हो  ... अगर इस तरह के इंसानों का नाम जानना चाहते हो तो ... सबसे सफलतम लोग का चरित्र देखे ... जो जितना - जितना भले वाद पर चला हैं ( चाहे जो नाम दे ) वह उतना उतना फायदे में रहा हैं .... उतना उतना सर्वग्राह्य रहा हैं ...आगे  रहा हैं .... ( ऐसे  लोग या नाम सभी दलों में हैं ... किसी एक दल , जाति , संप्रदाय , देश , परदेश किसी एक की मोनोपली नहीं )

             और भाई साम -दाम- दंड -भेद की नीति से चलने वाले भी यदाकदा शायद आपको दौड़ में आगे दिखे .... पर उनका बहुत सा समय अपने को दौड़ में आगे रखने की चिंता में जाया होता हैं ... यह भी देखे ...


            अब तक गाँधी के इलावा कोई और दूसरा पूर्ण समर्पण के साथ नहीं चला ... अतः गाँधी जितना शिखर पर चढ़े उतना नहीं चढ़ पाया ... नेकी कभी जाया नहीं होती ... कुदरत उसका संज्ञान लेने को बाध्य हैं ... यह हकिगत हैं ... 

             क्या अब भी नाम कोई नाम बताने की जरुरत हैं जिसने गांधीवाद पर पूरा अमल किया हो  ... तभी आप और हम करेंगे  ???? 

भला हो ...!!!