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रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सब है बहाने ...





ये कैसी मोहब्बत , कहाँ के फ़साने,
ये पीने - पिलाने के सब है बहाने ।

वो दामन हो  उनका के सुनसान सेहरा
बस हमको तो आखिर हैं आंसू बहाने ।

ये किसने मुझे मस्त नज़रो से देखा ,
लगे खुदबखुद ही  कदम लडखडाने ।

चलो तुम भी गुमनाम अब मयकदे में ,
तुम्हे दफन करने है कई गम पुराने ।

ये कैसी मोहब्बत , कहाँ के फ़साने,
ये पीने - पिलाने के सब है बहाने ।  

 ( साभार : जगजीत सिंह साहब के एल्बम : desire की एक ग़ज़ल )