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मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

दिल की आवाज़ भी सुन ...





           जी हाँ दिल की आवाज़ सुनने का दावा सभी करते हैं ... पर शायद ही किसी को पता हो दिल की आवाज़ आखिर निकलती कहाँ से हैं ... और दिल की आवाज़ दिल की ही हैं कोई जाने भी तो भला कैसे ... बस इसी उधेड़बुन में दिल की आवाज़ अक्सर कहीं खो जाती हैं ... सुनकर भी अनसुनी कर दी जाती हैं ... कोई - कोई सुनने के लिए दिल यानि ह्रदय के पास तक चला जाता हैं ... पर वहां भी एक अजीब सा शोर- सा ही सुनकर उलटे पांव लौटने में ही भलाई समझता हैं ...

         वैसे यह  लगभग स्थापित सा ही हैं की ..  दिल यानि ह्रदय जिसको जाना जाता हैं ... वह वस्तुतः एक यांत्रिक पम्प से बढकर कुछ नहीं ... जिसका काम खून का दौरा शरीर में बाकायदा बनाये रखना हैं ... ह्रदय में संवेदनाओं को पैदा करने या उन्हें जज्ब करने की कोई स्वतंत्र व्यवस्था नहीं होती ... न ही होता हैं वहां अपनी बात कहने का कोई जरिया ... वस्तुतः दिल यानि " ह्रदय - वत्थु " एक स्नायुविक संस्थान का मूल हैं ... जहाँ से भावनाओं का ज्वार उठता  हैं ... जहाँ भावनाओं का भाटा अपने किनारों से दूर हो अकेला रहना चाहता हैं ... और इसकी असली जगह हैं ... हमारे शरीर में सबसे निचली पसलियों के संधि स्थल के ठीक ऊपर ... हा यही दिल का असल मुकाम हैं ... 

            अब कभी दिल की आवाज सुनने या सुनाने की बात उठे तो इस स्थान का ध्यान  कर लेना ... सही जगह अगर दिल की आवाज़ को अहमियत दी जाएगी तो शायद उसका असर सकारात्मक होकर दूर तक जायेगा ... दिल यानि " ह्रदय - वत्थु " की तलस्पर्शी गहराईओं में जब किसी के प्रति सद्भावनाओं का ज्वार  उठे तो वह दिल के सिमित दायरे को असीम कर देता हैं ... और उसकी यह हरकत द्वेष के दूषित बादलों को ठंडी शीतल धारा  का रूप दे ... बिना भेदभाव सभी छतों पर बरसाता  हैं ... एक सामान , एक सा , एकाकार सा ...



                   अब यह मान भी लिया जाएँ कि  ... दाग दिलों  के नहीं मिटते हैं मिटाने  पे न जा ... दिल को दागदार बनाने से पहले ही सचेत रहे ... क्योंकि इश्क मासूम हैं इल्जाम लगाने पे न जा ... दिल की आवाज भी सुन ... यह गीत " 44 साल पुरानी  फिल्म " हमसाया " का हैं ...  गीत रफ़ी साहब की मखमली आवाज़ में सचमुच दिल से निकलता हैं और सीधे दिलों में उतरता जाता हैं ... पुरे गीत में रफ़ी साहब की आवाज़ इस कदर छाई हुई हैं कि और किसी का ख्याल ही नहीं आता ... आखिर दिल की आवाज़ यूँ ही कोई आम नहीं होती हैं ... सुने इस गीत को दिल की आवाजें में ... दिल से ... दिल की खातिर ... दिल के साथ ... मंगल हो !!