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गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

कोई समझाए ... ???

              



















                               जो भगवान को केवल माने वो आस्तिक .... ??   या जो भगवान के बनाये कानून ... यानि कर्म के सिद्धांत में आस्था ही न रखे उस पर चलने को कोशिश भी करें वो आस्तिक .... ? 
दूसरा यह की ....

              अगर भगवान है .... तो फिर वह ऊपर वर्णित किस तरह के भक्त को देखकर खुश होगा ....

               पहला वो ... जो उसकी कहीं  बातों को मानता तो हैं पर उन पर अमल नहीं करता हैं ... औरे भगवान  की खुशामद में लीन  रहता है 

               या दूसरा वो जो उसकी बातों  को मानता ही नहीं उनपर चलता भी हैं ... पर खुशामद से कोसों दूर रहता हैं /