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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

आओ आज रावण जलाएं ..




मेरे अन्दर भी एक रावण  हैं,
और शायद तेरे भी ,
कुबूल करें तो सबके अन्दर वो हैं ।।

मेरे अन्दर वो हैं मैं नहीं मानता ,
तेरे अन्दर वो हैं तू नहीं मानता ,
सबके अन्दर वो है हर कोई है जानता।।

पर यह आपस का समझौता हैं ,
बुराई पर अच्छाई की विजय का 
उल्लास भर मनाओ।।

एक रावण  का पुतला  बनाओ,
उसे फिर जलाओ ,
ताकि हम सब वैसे ही रहे 
जैसे हम चाहते हैं रहना।।

दाग मेरे भी अच्छे हैं ,
और तेरे भी बुरे नहीं ,
कभी मैं तुझे टोकुं ,
कभी तू मुझे।।

बस साल में एक बार यह रस्म निभाए ,
रावण का एक पुतला बनाये ,
उसे जलाएं ,
और फिर आपस में खुश हो 
बधाईयाँ दे की पुरे साल 
दाग लगने और लगाने में डूब जाएँ ....


आओ आज रावण जलाएं 

हैप्पी दशहरा  , हप्पी दशहरा ।।