
सच ही तो हैं ... मन से बड़ा न कोय ... एक उजला मन किस कदर संसार के जन-मानस पर छा सकता हैं ... इस बात के हमारे सामने अनेकों उदाहरण हैं ... और हम हैं कि इस दर्पण पर जमी धुल को साफ करने का कोई यत्न ही नहीं करते और न ही कोई उपाय होगा ... इस बात पर विचार करने तक को तैयार हैं / हमारा मन मयूरा नाच उठता हैं जब किसी की खिल्ली उड़ाते हैं या उड़ाई जाती हैं , हमारा मन मयूर उतना ही उदास हो उठता हैं जब हमारी कोई खिल्ली उड़ाता हैं /

भगवान बुद्ध की वाणी यहाँ हमारा मार्ग बड़ी खूबसूरती से प्रशस्त करती है ....उनके उदगार हैं .... " शत्रु शत्रु की अथवा बैरी बैरी की जितनी हानि करता है, कुमार्ग पर लगा हुआ मन उससे ( कहीं ) अधिक हानि करता है " ....... " जितनी ( भलाई ) न माता पिता कर सकते हैं , न दुसरे भाई -बंधु , उससे ( कहीं ) अधिक भलाई सन्मार्ग पर लगा हुआ मन करता है "
अब इस गीत को प्ले किया हैं तो भाई ६ मिनिट ही तो लगेंगे ... आखिर इस सन्देश को दिल तक जाना हैं ... इसे पूरा होने दे ... और थोडा सोंचे तो सही ...शायद बात बन जाये ... भलाई का राजमार्ग हाथ लग जाये /
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