बन्दे में था दम ...


दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
आंधी में भी जलती रही गाँधी तेरी मशाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ..
धरती पर लड़ी तूने अजब ढब की लढाई
दागी कहीं तोप न बन्दुक चलाई
दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई
वाह रे फ़क़ीर खूब करामात दिखाई
चुटकी में दुश्मनों को दिया देश से निकाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ..
शतरंज बिछाकर यहाँ बैठा था ज़माना
लगता था के मुश्किल हैं फिरंगी को हराना
टक्कर थी बड़े जोर की दुश्मन भी था दाना
पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना
मारा वो कस के दांव तो उलटी सभी की चाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ..
जब जब तेरा बिगुल बजा जवान चल पड़े
मजदुर चल पड़े थे और किसान चल पड़े
हिन्दू व मुसलमान सिख पठान चल पड़े
कदमों पे तेरे कोटि-कोटि प्राण चल पड़े
फूलो सेज छोड़ दौड़ पड़े जवाहर लाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ..
मन में थी अहिंसा की लगन तन पर लंगोटी
लाखों में घूमता था लिए सत्य की सोंटी ...
वैसे तो देखने थी हस्ती तेरी छोटी ...
लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की भी चोटी "
दुनिया में तु बेजोड़ था, इन्सान बेमिसाल ..
साबरमती के संत तुने कर दिया कमाल ...
जग में कोई जिया है तो बापु तु ही जिया ...
तु ने वतन की राह पे सब कुछ लुटा दिया ..
माँगा न कोई तख़्त न कोई ताज ही लिया ..
अमृत दिया सभी को मगर खुद जहर पीया
जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
रघुपति राघव राजा राम ...
एक तरफ जब आज का युवा, गाँधी को आज के माहौल में खोजता हैं ... वह थोड़ा अपना स्वयं का अध्ययन गाँधी जी विषय में बढाये ... न की दूसरों की गायों को चराने का सा काम करें ... निश्चय ही वह बड़ी उर्जा और ताजगी पायेगा ... और गाँधी को जैसे-जैसे जानता जायेगा ... कुछ नहीं खोएगा ... हर बार नयी सकारात्मक उर्जा से ओतप्रोत हुए बिना नहीं रहेगा ... भला हो !!!
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