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रविवार, 11 सितंबर 2011

मुझे फिर बुलाया ..लो मैं आया !!!

मुझे फिर बुलाया ..लो मैं आया  !!!  


                       ब-जब भी आता हूँ .. कोई डेढ़ , कोई तीन तो कोई दस दिनों तक मेरी खूब आवभगत में लगा रहता है ... मुझे पटाने की हर जुगत की जाती है ... मेरे सामने खड़ा रहकर बार-बार मेरे माता - पिता की याद दिला- दिला कर ...पुर्व में किये उपकारों का बखान सतत किया जाता है ... और धीरे से नई फरमाईशें रखना  कभी नहीं भूलते  ...मैं भोला हूँ यह वे अच्छी तरह जानते  है ... कई बार मेरे सामने दुविधाएं खड़ी करने में भी कोई कोताही नहीं बरतते ... अपने बनाये नियम कानून खुद ही तोड़ते है ...अपनी बनायीं सजाओं से मुझे ही बचाने को कहते है... भैय्याजी गीता तो हम सबने पढ़ी है ...जो जैसे कर्म करेगा ठीक वैसे ही फल उसे मिलने वाले है ...मैं भला गीता का यह शाश्वत नियम कैसे बदल सकता हूँ .... इस बार भी उनके बुलावे पर मैं आया ... मेरी माता ने कहा ... जा रहे हो ... देखना वे सब इस बार बड़े कड़े नियमों को बनाने की जुगत में है ... एक दुसरे को सुधारने के हर प्रयत्न वे कर रहे है ... यूँ  लगता है जैसे वे अपने ही हथियारों से अपने ऊपर ही वार करने की कोशिश में हो ... वे पाप से नहीं पापी से घृणा करने की सोंच में है ... तू वैसे भी कम बोलता है ... सुनना ज्यादा पसंद करता है ... हमेशा अच्छी तरह से सोंच विचार करके निर्णय लेता है ... जल्दीबाजी में काम करना तेरी फितरत नहीं ... पर वे बड़े अधीर है ... तुझसे ही सारी मांगे मनवाने की कोशिश करेंगे ...बेटा तू दबाव में आकर उनकी हर मांग पर जल्दी से कैसे सहमत होगा ... कैसे कह पायेगा..." तथास्तु ..सारे भ्रष्टाचारी अभी के अभी ख़तम हो जाएँ "... तू भोला है ... तेरे भक्त नासमझ .. तथास्तु मत कहना ..उन्हें इशारों में समझाना की तथास्तु कहते ही .. कितने बच पाएंगे ?    मैं ही जानता हूँ .. / 
  
                      मेरे पिता भी अपने आप को नहीं रोक पाए ... अपने पूर्व अनुभव के आधार पर कहने लगे ... एक बार मैंने भी किसी को यह वचन दे दिया था की ..जिसके सर वो हाथ रखे वो म्रत्यु को प्राप्त हो जाये ...फिर क्या था मेरे भक्त ने उसे मुझ पर ही उस वरदान को आजमाने की कोशिश की .. बड़ी मुश्किल से बच पाया ...देखना जरा ध्यान से रहना वहाँ दस दिन ...काली कमाई तेरे चरणों अर्पण करे तो ...उन्हें याद दिलाना की भाई यह गलत है ... बिजली  की चोरी से तेरा पांडाल रोशन करे तो कहना ...ये ठीक नहीं ... तेरे सामने अगर अनाचार हो तो उन्हें समझाना ...शायद वे इस बार समझ जाये ...क्योंकि कुछ दिन पहले ही रामलीला मैदान पर १३ दिनों तक उन्हें  खूब समझाया गया है ... पर मैं देखता हूँ ...वे अपने भ्रष्ट आचरण से कम,  दूसरों के बुरे आचरण से  ज्यादा परेशान है... उन्हें समझाना तुम अपने मन के मालिक नहीं बनोगे तब तक कैसे सफल होओगे ? ...कब अपने पॉव पर खड़े होओगे ? ... जितने नियम अभी बना रखे है ... उनका पालन क्यों नहीं कर पाते ?.... उनका पालन ही करने लगो तो नए नियमों का भार तुम पर क्यों पड़े ?... क्या उनके पालन को सुनिश्चित करने वाले महकमे का बोझ तुमपर नहीं आएगा ?... ..अपने अन्दर के लालच, क्रोध, वासना और अहंकार कैसे कम हो !! ..इसके  उपाय की खोज में तुम क्यों नहीं जुट जाते ?...जानते हो आज तुम्हे सौभाग्य से इन दुर्गुणों से निजात पाने का  उपाय उपलब्ध  है ... उसका  अभ्यास क्यों नहीं  करने की सोचते ? ...मैं भी  उनकी कोई मदद नहीं करता जो स्वयं अपनी मदद नहीं करना चाहते ...!!! 

           
सुधार के उपाय की खोज मैं ध्यान रत बच्चे 
                      मैं सदा  की तरह इस बार भी आया ...  दूसरों की ओर कम और अपनी ओर  ज्यादा देखना !!...ऐसा करते ही देखना सहज रूप से तुम सुधार की ओर एक-एक कदम बढ़ाते जाओगे !! ... बिना किसी झगडे के ! ...बिना किसी शोर शराबे के ! ....भक्तों मैं फिर आ गया !!! ... इस बार कोई चोरी की बिजली से मेरे पंडाल रोशन न करे ... बेवजह सड़कों को जाम न करें ... !!