
शुक्रवार, 30 जनवरी 2015
5:17 PM - महाप्रयाण की बेला

बुधवार, 14 जनवरी 2015
भावी विश्व गुरु ...
रविवार, 11 जनवरी 2015
गांधी और उनका विरोध ।
गांधी और उनका विरोध ।
म.गांधी अपने विरोधियों और उनके विरोध का बहुत मान रखते थे । सायं कालीन प्रार्थना सभा में वे सर्वधर्म प्रार्थना पर बहुत जोर देते थे । पर उनकी सद्भाव बढ़ाने वाली भली कोशिश का भी बहुत विरोध होता रहा । इस पर म. गांधी ने एक नियम बनाया की सर्वधर्म प्रार्थना सभा के आरम्भ में अगर किसी को एतराज हो तो वो ऊँगली उठा दे, फिर उसका मान रखते हुए उस दिन केवल मौन रहकर ही ईश्वर की प्रार्थना होगी ।
उन दिनों सांप्रदायिक विद्वेष देश में बहुत गहरा फैला हुआ था । प्रार्थना सभा में एक व्यक्ति ऐसा भी शामिल होता था जिसे इस्लाम धर्म पर आधारित प्रार्थना पर विरोध होता था । भला मानुस था पर सांप्रदायिक शक्तियों के बहकावे में गुमराह भी था । वो बराबर ठीक समय पर आता और प्रार्थना शुरू होने से पहले अपनी ऊँगली उठा कर विरोध दर्ज करता और बापू उस दिन मौन रहकर ही ईश्वर की उपासना करते । ऐसा सतत होता रहा पर एक दिन प्रार्थना का समय आया पर उनका वो विरोधी नही आया तो बापू चिंतित हुए और पूछा आज वो भाई नही आया क्या ?
बाद में बापू ने अपना सन्देश वाहक भेजकर उस विरोध करने वाले भाई के हालचाल पुछवाये और उसकी कुशलता की कामना की ।
बापू की उन प्रार्थना सभाओं में बाद में लार्ड माउन्ट बेंटन भी सपत्नीक आते थे और बापू के ठीक सामने जमीं पर बैठकर प्रार्थना में पुरे समय उपस्थित रहते थे ।
जिस दिन बापू की जान उनके ही सधर्मी भाई ने ली उस दिन उनका वो विरोधी जिसे उनकी सभी धर्मों में गहरी आस्था नही रुचती थी उसकी आँखें भी नम थी और उसकी आस्था भी बाढ़ेँ तोड़कर अनंत हो गई थीं ।
बापू तुम फिर आना मेरे देश !!!
बुधवार, 7 जनवरी 2015
तु कौन है रे ?
तुम कौन है रे ?
सब कुछ भूल कर आजकल एक अजीब सी चर्चा चलने लगी है की हम कौन हैं ?
और सभी अपनी अपनी जान सच ही कहते होंगे । कोई कहता हैं सभी हिन्दू हैं ! तो कह पड़ा सभी जन्म से मुसलमान हैं ! और कल एक और सच सामने आया सभी जन्म से दिगंबर है !
अभी और सच सामने आएंगे । और इसमें कुछ गलत भी नहीं । और ऐसा नही की इस तरह की बहस पहली बार उठी हों । यह सनातन बहस हैं की हम कौन हैं ?
करोड़ों वर्षों से यह सवाल उलझा हुआ ही हैं उनके लिए जो अपने अपने दुराग्रह से चिपके हुए हैं और सच के करीब होकर भी कोरे हाथ हैं । नदी किनारे भी प्यासे हैं । सो अभागे हैं । और इस सवाल के ना हल होने में ही जिनके छोटे छोटे मतलब हैं ।
फिर भी युवाओं एक फ़िल्मी गीत इस सवाल के सही जवाब के इतना करीब पहुंच गया था की अचरज होता हैं । पर हम कठिन सवालों के सरल जवाब से थोडा नही बहुत ज्यादा परहेज करते हैं और यह आदत सी बन गई हैं की सरलता को ठुकरा दो और कुटिलता को अपनाते रहों ।
खैर सुनियेगा यह गीत । और कैसा लगा कमेंट्स में लिखियेगा क्योंकि कमेंट करने से हमारी अभिव्यक्ति की क्षमता में निखार आता हैं । और हम निखरे , कौन भला नही चाहता ?
सबका भला हों !!!
Watch "Dhool Ka Phool - Tu Hindu Banega Na Musalman Bane…" on YouTube - Dhool Ka Phool - Tu Hindu Banega Na Musalman Bane…: http://youtu.be/jqcyUkUFzrc