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रविवार, 11 जनवरी 2015

गांधी और उनका विरोध ।

गांधी और उनका विरोध ।

म.गांधी अपने विरोधियों और उनके विरोध का बहुत मान रखते थे । सायं कालीन प्रार्थना सभा में वे सर्वधर्म प्रार्थना पर बहुत जोर देते थे । पर उनकी सद्भाव बढ़ाने वाली भली कोशिश का भी बहुत विरोध होता रहा । इस पर म. गांधी ने एक नियम बनाया की सर्वधर्म प्रार्थना सभा के आरम्भ में अगर किसी को एतराज हो तो वो ऊँगली उठा दे, फिर उसका मान रखते हुए उस दिन केवल मौन रहकर ही ईश्वर की प्रार्थना होगी ।

उन दिनों सांप्रदायिक विद्वेष देश में बहुत गहरा फैला हुआ था । प्रार्थना सभा में एक व्यक्ति ऐसा भी शामिल होता था जिसे इस्लाम धर्म पर आधारित प्रार्थना पर विरोध होता था । भला मानुस था पर सांप्रदायिक शक्तियों के बहकावे में गुमराह भी था । वो बराबर ठीक समय पर आता और प्रार्थना  शुरू होने से पहले अपनी ऊँगली उठा कर विरोध दर्ज करता और बापू उस दिन मौन रहकर ही ईश्वर की उपासना करते । ऐसा सतत होता रहा पर एक दिन प्रार्थना का समय आया पर उनका वो विरोधी नही आया तो बापू चिंतित हुए और पूछा आज वो भाई नही आया क्या ?

बाद में बापू ने अपना सन्देश वाहक भेजकर उस विरोध करने वाले भाई के हालचाल पुछवाये और उसकी कुशलता की कामना की ।
बापू की उन प्रार्थना सभाओं में बाद में लार्ड माउन्ट बेंटन भी सपत्नीक आते थे और बापू के ठीक सामने जमीं पर बैठकर प्रार्थना में पुरे समय उपस्थित रहते थे ।

जिस दिन बापू की जान उनके ही सधर्मी भाई ने ली उस दिन उनका वो विरोधी जिसे उनकी सभी धर्मों में गहरी आस्था नही रुचती थी उसकी आँखें भी नम थी और उसकी आस्था भी बाढ़ेँ तोड़कर अनंत हो गई थीं ।

बापू तुम फिर आना मेरे देश !!!

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