बुधवार, 18 जुलाई 2012

चैन आये मेरे दिल को दुआ कीजिये ...

चै ये मेरे दि को दु कीजिये ..


 






                सुर ताल और लय इन तीनों का सुमधुर योग संगीत को जन्म देता हैं ...  और जब मनोभावों को शब्द मिलते हैं /  ... तो संगीत जैसे बोल पड़ता हैं जब कोई उस संगीत कि अभिव्यक्ति अपने अभिनय से करता हैं... फिर तो उस संगीत में जैसे जान पड़ जाती हैं .. इस तरह वो अपनी बेहतरीन अभिव्यक्ति के द्वारा सारा मामला अपने हक़ में करने कि असीम संभावनाएं रखता हैं /  ... बस कुछ ऐसी ही बात बन जाती थी,  जब सत्तर के उस दशक में राजेश खन्ना साहब सुनहले परदे पर आते थे /  किसी कलाकार की लोगों के दिलों में किस कदर जगह बन जाती हैं , उसके सारे प्रतिमान राजेश खन्ना साहब के हक में जाते हैं ...    किशोर दा अगर नहीं होते तो यकीं माने हमारे काका ( राजेश खन्ना साहब ) फिर बेजुबान होते या काका " काका " नहीं होते ... खैर " जिंदगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मक़ाम वो फिर नहीं आते ... बाद में चाहे भेजो हजारों हजारों सलाम वे फिर नहीं आते "  इसलिए दोस्तों जिन्दगी को खूबसूरती से जीना आ जाएँ ! ... तो फिर आँचल का एक तार बहुत होता हैं चाक जिगर सीने के लिए ... !!! किशोर दा की यादों को नमन ... सलाम !!! 

                                                         1972  की सुपर हिट  फिल्म  " मेरे जीवन साथी " के इस यह गीत में राजेश खन्ना साहब जैसे सहज और सधे अभिनय के दम पर अपने चाहने वालों से यही दुआ के लिए अर्ज कर रहे हैं की " चैन आये मेरे दिल को दुआ कीजिये ".

राजेश खन्ना साहब ने जैसे उस युग को  दर्द और पीड़ा की अभिव्यक्ति से निकाल कर रोमांस के रुपहले युग में ले जाकर उसे फिर खूब विस्तार दिया . सत्तर के दशक का वो युग और उस युग के सिनेमा ने देश को एक खुशनुमा जिंदगी जीने के एहसास को बुलंदियां दी. आज भी रेडियो पर , टीवी पर दिन में न जाने कितनी बार उनके गीतों को सुना जाता हैं ... राजेश खन्ना साहब अब जब अपनी अनन्त की यात्रा पर निकल पड़े हैं ... दिल कह पड़ता हैं .... दुआ हैं ... आपके दिल को चैन -ओ - सुकून मिले .