जब हम भारतीय किसी उच्च विचारधारा को रखने का दावा करते हैं , तो विश्व हमारी तरफ देखने लगता हैं , अब कोई भली विचारधारा हो उसे सीमाओं के दायरे में सिमटा कर नहीं रखा जा सकता हैं। वैसा ही भारत भूमि का एक अति उच्च विचार और कामना हैं और वह हैं विश्व कुटुम्बकम की उदात्त भावना।
अब दुनिया में लगभग सारी जगहों पर लोकतंत्र हैं , और यह विश्व कुटुंबकम की राह को आसान करने की दिशा में बहुत बड़ा साधन हैं , लोकतंत्र में चुनने का अधिकार उसके प्राण हैं , और सभी को उस चुनाव के लिए अपने आप को प्रस्तुत करने का लोकतंत्र में अनमोल अवसर मिलता हैं , जब- जब भी और जितना- जितना भी, हमारा लोकतंत्र इस भावना को बल देता हैं उतना-उतना, इंसान-इंसान के बीच सम्प्रदायों , जातियों , बिरादरियों , बोलीभाषाओं , उंच-नीच को लेकर बनी विषैली जड़ें कमजोर होती ही हैं।
यह खबर की अमेरिका में कोई भारतीयमूल का व्यक्ति वहाँ के मंत्रीपद पर पहुंचा , हमारे अतिउच्च सिद्धांतों पर विश्व का विश्वास ही हैं , वस्तुतः यह भारतीयता को, उसके अति उच्च विचार विश्वकुटुंबकम को , सहस्तित्व के अप्रतिम सिद्धांत को जमीं पर उरतने की दिशा में एक महत्पूर्ण कदम मात्र हैं।
आगे अवसर हैं जब भारत केवल अतिउच्च सिद्धांतों की बातें ही नहीं करेगा, वह अवसर मिलने पर इनको क्रियान्वित भी करेगा, यह होगा , क्योंकि भारत पर इनको जमीं पर उतारने का बहुत बड़ा भार हैं , उसको बहुत बड़ी जिम्मेवारी हैं।
आओ, हम हर वह नन्हे से नन्हा कदम उठाये जो सहस्तित्व और सबको सहज अपना मान सके उस दिशा में जाता हो ।
बहुत हुई बातें , आओ अब हम कर गुजरे, बातों से संतुष्टि मिलती तो कबकी मिल चुकी होती , पर संतुष्टि मिलती है भली बातों के क्रियान्वन से , जैसे थोड़ी बहुत मिली हमें इस खबर से की अमेरिका में कोई भारतीय वहाँ के मंत्री पद पर पहुंचा।
अपने भले के लिए और साथ ही साथ सबके भले के लिए आओ हम अपने आप का आकलन करें और बस चल पड़े , सबको अपना कह सके उस राह !!!