सोमवार, 11 नवंबर 2013

" आप तो ऐसे ना थे "


      " आप तो ऐसे ना थे " इस फ़िल्म का यह बेहतरीन गीत हैं , इसे गाया हैं रफ़ी साहब ने और उस समय कि नयी गायिका हेमलता जी ने , बेहद सुरीली धुन में यह गीत बहुत हौले-हौले आगे बढता हैं, कहीं- कोई जल्द बाजी नहीं , कोई हड़बड़ाहट नहीं और ठीक यही भाव अभिनय में और फिल्मांकन में भी सटीक तौर पर उभरे हैं।

            हमारा मन विशेष तौर पर बस दो ही भावों में जीता हैं एक " नफ़रत " और दूसरा " मोहब्बत " , वहीँ मोहब्बत का भाव कुछ यूँ होता है की उसका नूर राहों को बेपहान रोशनी में नहा देता हैं , वहीँ नफ़रत का भाव अन्धकार फैलाता हैं। 

                मोहब्बत का भाव लिए हम कहीं जाएँ , किसी महफिल में खड़े हो , कहीं विराजे या अकेले ही क्यूँ ना हों कभी तनहा होने का जज्बा मन में घर नहीं करेगा। ऐसा इंसान फिर फरिश्तों की निगेहबानी में विचरण करता हैं, सबका साथ उसके साथ होता हैं। 

             आओ, 33 साल पुरानी फ़िल्म का यह सदाबहार गीत सुने , … शुभ-दिन , फिर मिलेंगे !!