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बुधवार, 27 मार्च 2013
होली आई रे ...
प्रकृति को भी होली के आने का बड़ा इन्तजार रहता हैं ... और यही कारण है की प्रकृति की कृति मानव भी इसके प्रभाव में खूब रंग जाता हैं ... होली में जातपात और सम्प्रदायों के भेद मिट जाते हैं , मानव मन अपने मुखौटो को उतार कर नैसर्गिक स्वरूप में कई रंगों से रंग कर एक रंग हो जाता हैं ...
... होली पर फ़िल्मी गीतों की लम्बी फेहरिस्त हैं ... एक से बढकर एक उम्दा गीत बने हैं ... आज होली की बेला पर फिल्म " मदर इंडिया " का गीत " होली आई रे कन्हाई .. " दूर से आती टीवी की आवाज के सहारे धीमे - धीमे कानों में गूंज रहा हैं ... शमशाद बेगम साहिबा की खनकदार आवाज इस गीत को रंगती हुई सारे माहौल को रंगों की मस्ती में डुबोती-तैराती आगे बढ़ती जाती हैं ... पीछे केवल मस्ती और उल्लास, उमंग रह जाते हैं ... छूटे न रंग, यूँ रंग दे चुनरिया यह आरजू करना मन की स्वभाविक आरजू होती हैं ... पर चुनरिया पर कोई रंग ना चढ़े यह यत्न करना .. और चुनरिया को जस की तस रख देना भी तो मानव का ही धर्म हैं ...
... 1957 की सुपर हिट सदाबहार फिल्म " मदर इंडिया " का यह गीत " होली पर बने, रचे गीतों में सर्वश्रेष्ट हैं ... फिल्मांकन भी इस गीत की मस्ती के अनुरूप रंगीन हैं ... सुनील दत्त साहब और नर्गिस जी का नैसर्गिक आकर्षण और प्रेम भी इसी फिल्म के दौरान हुआ था ... नौशाद साहब का बेहतरीन संगीत इस गीत के साथ हैं ... गीत को बजने दे ... और होली की यादों में खो जाएँ ... फिर मिलेंगे ... मिलते रहेंगे ... !!!