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सोमवार, 11 मार्च 2013

बापू कथा के बहाने ...




             चपन से ही म. गाँधी जी को जानने का जब जब अवसर मिला मेरी  उनके प्रति जिज्ञासा बढती सी गयी ... उसी दौरान कहीं उनके विषय में तीव्र निंदा भी सुनी ... तभी से मन ही मन सोचा की इतनी भले इन्सान की भी इतनी निंदा ... फिर भी मन में हमेशा ही जहाँ से म. गांधीजी के बारें में जानने का अवसर मिलता उन्हें अपने तयी जानता ही रहता ... 


                      फिर एक अवसर मिला जब पहली बार जाना म. गांधीजी  आध्यात्म के क्षेत्र में बहुत आगे पहुंचे हुए थे ... और फिर उनके जीवन में यहाँ वहां जब भी कुछ जानने या पढने का अवसर मिलता ... अब मैं ...  उनके जीवन को इस नए आयाम से भी समझने की कोशिश करता रहा ... और सचमुच यहां - वहां बिखरे उनके जीवन के किस्सों में आध्यात्म की ऊँचाइयों के प्रमाण भी मिलते ही रहे ... स्वयं भी मेरी आध्यात्म में रूचि के चलते ...अब उनके विषय में जानने का जोश दुगुना होता गया ... 

             एक अवसर आया जब हमारे शहर में " बापू कथा "  का आयोजन भी हुआ ... " बापू कथा " यह शब्द ही मेरे लिए रोमांच जगाने के लिए काफी था ... म. गांधीजी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई साहब पुत्र " श्री नारायण भाई देसाई " का बचपन बापू के आश्रमों में बापू के इर्द गिर्द बीता  ... और बापू को उन्हौने अपने साथ खेलते हुए ... बातें करते हुए ... हंसी मजाक करते हुए ... इस बात से बेखर की वे कितने महान हैं ... बिलकुल सहज अंदाज में देखा ... वही नारायण भाई देसाई साहब ने एक बीड़ा उठाया है ... वे गांधीजी के बारें में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर पांच दिनों की "बापू कथा " सुनाते हैं ... 

                म. गांधीजी को जानने और समझने का यह अवसर मेरे लिए निराला था ... मैं भी पांचो दिन कथा सुनने गया  ... और कई बातों की सच्चाई को जाना ...  मेरी जानकारियों को नए आयाम मिले ... आज अचानक कुछ यूँ हुआ की कुछ बातें याद करते करते मन नारायण  भाई देसाई साहब के प्रति कृतज्ञता से भर - भर गया  ... 

                  बापू कथा सुनने का अवसर ... हमारे युवा भी जरुर उठाये ... सुनता हूँ youtube पर भी बापू कथा की कई लिंक मिलती हैं ... और संचार क्रांति के युग में यह बहुत बड़ी सुविधा हैं ... हमारे युवा म. गांधीजी को स्वयं जाने ... आज जब सारा संसार उनको जानना चाहता है ... उनकी और आशा भरी नज़रों से देखता हैं ... हमारा उनको जानना अभी बहुत  बाकि हैं ... और गांधीजी की राह आसान होते हुए भी हमें क्यूँ मुश्किल लगती हैं ... इस दृष्टी कोण से युवा लाभान्वित हुए बगैर नहीं रहेंगे ... भला हो !!!

( संलग्न चित्र : श्री महादेव भाई देसाई साहब और उनके परिवार तथा नारायण भाई के बचपन के हैं  )