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बुधवार, 26 दिसंबर 2012

" हम सुधारेंगे ...






हमारा देश एक सच्चा गणतंत्र है ... हर बार , हर विपत्ति से वो नया रास्ता ढूंढता है .. हर बार वो लड़खड़ाकर फिर चलने लगता है .. भली सोच वाले लोग हर पार्टी. हर दल में है ...गांधीजी ने आजीवन व्यवस्था का सम्मान करते रहे थे ... वे धीरज और विवेक से काम लेते थे ... किसी भी स्थिति में शार्टकट में वे भरोसा नहीं रखते थे ... अपराध से तो वे घृणा कतरते थे पर अपराधी के प्रति करुणामयी भाव रखकर उसे स्वयं सुधार की ओर प्रेरित और उत्साहित करते थे ... आज कल तो दूसरों पर ऊँगली उठाना फैशन बन गया है .... हम सुधरेंगे जग सुधरेगा की जगह बस " हम सुधारेंगे चल पड़ा है " .... 

आजकल आन्दोलनों का फैशन - सा चल पड़ा हैं ... नकली आन्दोलनों से युवा जुड़ता जा रहा हैं ... क्योंकि उसके मन में भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भरा हुआ हैं ... पर उसका दुर्भाग्य की वह किसी भले और परिपक्व नेतृत्व की जगह अब तक केवल मुंह-फट और अधीर और बदजुबान और गुस्सैल नेतृत्व के हाथों ही खेल रहा हैं ... इस तरह कानून को अपने हाथों लेने और व्यवस्था भंग करने के कारण हमारे युवा अकारण ही अपना भविष्य दांव पर लगा देते हैं ....


बुद्ध, महावीर , कबीर और नानक की यह भूमि सारी दुनिया को उजाला देती रही है ...विश्वास रहे .. फिर जन- जन का मन अधिनायक बन कर उभरेगा ... फिर लोग समझेंगे की उनकी भलाई किस बात में है .. भला हो