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शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

आपकी याद आती रही ...!!




स्मिता पाटिल जी की अदाकारी बेमिसाल थी ... क्योंकि उनका अभिनय और लुक एक आम भारतीय नारी के बहुत करीब था ... उनकी अभिनीत एक फिल्म " गमन " का एक खुबसूरत गीत , छाया गांगुली जी की आवाज में " आपकी याद आती रही रात भर .... " जब भी सुनता हूँ यूँ लगता हैं मन अँधेरी सुनसान सी गलियों के सन्नाटे में तैर रहा हैं ... और हर दरवाजे , हर मोड़ से यह गीत रह रहकर झांक रहा हैं ... 



             यादों का आना हो तो सबसे ज्यादा आँखों पर बीतती हैं ... कभी लगता हैं यादें दिये की लौ की थरथराहट पर , आँखें  की हर हरकत सवार हैं ... पर यादें तो होती हैं सुनी आँखों का तारा , जो चाँद की खोज में सारे  आकाश में उसे खोजती रहती हैं ... और आकाश बस टुकुर-टुकुर निहारता ही जाता  हैं ... 

          आसपास कोई आवाज नहीं भी होती फिर भी कान अपना काम बखूबी करते रहते हैं ... सुनते रहते हैं अनुसुनी आवाजों को ... आसपास कोई गंघ हो या ना हो , कमबख्त यादें पूरी शिद्दत से कोई परिचित सी मिठास भरी महक फिजाओं में बिखेर ही देती हैं ... तभी चश्में -नम हो जाएँ ... तो समझे यादें के आने का बखत हैं ... अब सुहानी यादों के झरोखों से सर्द हवाओं की तेजी बढे ... आओ चांदनी को जगमगाने दिया जाएँ ... 

             1980 का दौर फ़िल्मी दुनियां में सामानांतर फिल्मों के प्रयोगों का युग था ... जब आम प्रचलित मसाला फिल्मो की जगह इंसानियत से जुड़े किसी मसलें को लेकर कहानियों का जाल कुछ इस तरह बुन जाता था कि  फ़िल्में आम इन्सान के जीवन की झांकी विशेष गति से कुछ यूँ बयां करती थी की दर्शक और परदे के बीच  दुरी घट  कर बस हाथों से छूलो इतनी भर रह जाती थी ... कहानियां मन को हौले से छूकर निकल जाती थी ... फिल्म " गमन " एक मुम्बईया टेक्सी चालक की पीड़ा और जद्दोजहद का बड़ा संवेदन-शील चित्रण हैं ... फ़िलहाल सुने यह खुबसूरत गीत ... भला हो !!