
आखिर जिन्दगी है क्या ? ... बस एहसासों की लम्बी अनवरत श्रंखला ही तो हैं ... सभी ने यह महसूस किया ही होगा ... कभी मन यूँ ही प्रफुल्लित रहता हैं ... और कभी यूँ लगता है जैसे बेवजा उदास हैं ... यह सब यूँ ही नहीं होता ... उमंग या उदासी की तरंगो से उस उस समय हमारे मनों का समरस हो जाना ही तो हैं ...
सुनकर देखे यह गीत ... यह गीत ... गजब की काबिलियत रखता हैं ... एक नहीं कई बार यह कुदरती जादूगरी से हमें और हमारे मन को अनायास छू जाता हैं ... हौले हौले ... आहिस्ता अहिस्ता ... दुआएं / मंगलकामनाएं बेरोकटोक मीलों का सफ़र पल में यूँ तय करती है जैसे सूरज की किरण ... या हवाएं .... बस यहाँ से वहां तक "चाहो " के सायें ही तो हैं ... पल - पल उजाले और पल-पल अँधेरे हमारी महसूस करने की क्षमता की अग्नि परीक्षाएं ही तो हैं ...

आओ दुआ करें ... सबका मंगल हो !!!