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रविवार, 14 अगस्त 2011

एक-दुसरे से घृणा नहीं ..प्यार बड़े ..!!



                               भ्रष्टाचार से खुले में आकर लड़ना भ्रष्टाचार के खिलाफ  दिखावटी लडाई ही साबित होगा ../ भ्रष्टाचार केवल पैसो का अनुचित लेन देन ही नहीं आगे भी हैं .....यह तो अपने अंतर- मन की लडाई होना चाहिए .... इतना आसान नहीं .. कानून की कितनी दीवारे बनायेंगे ?  ... असल में हम कोई तंत्र  बनाकर उसके भरोसे भ्रष्टाचार को समूल मिटाने कि कोशिश कर रहे हैं जो एक दिवा स्वप्न ही साबित होगा . लोकपाल कानून के जानकर लोग इस का भी धंधा खोल लेंगे ......./ 

                              अन्ना जी क्यों खुद को ईमानदार रख पाए अभी तक ?.. क्यों वे नैतिकता का जीवन में आचरण कर पा रहे है ? ... क्यों वे अडिग है ? ...क्या कानून के डंडे से डरकर ?  क्या उन्हें भ्रष्टाचार का मौका नहीं मिला इसलिए ? .... नहीं..../   उनका अंतर-मन  साफ है ... वे अपने मन पर काबू रख पाते है .../ 
  

                              हमारे इंदौर में एक कानून बना है ... यहाँ - वहाँ थूकने वाले को  100  रुपये का अर्थ दंड भरना होगा .... तो क्या लोगों ने थूकना छोड़ दिया .... नहीं ना ?... स्वयं हमारे इंदौर के अग्र- नागरिक इस छोटे से कानून का उलंघन करते हुए देखे जा सकते है  / ...... अतः हम मन पर काबू कैसे रख पाए ... हमारे मन से बुराईयों को कैसे दूर कर पायें इस बारे में जितनी तेजी से विचार होगा ...अमल के रास्ते ढूंढे जायेंगे ... लोग उन पर चलने लगेंगे ... तो ही धीरे-धीरे बड़े सहज रूप से हमारे  समाज में नैतिकता का अवतरण होने लगेगा   समय लगे पर यही एक रास्ता है ..../

                                                              अभी तो यूँ लग रहा है जैसे अचानक हम सब एक दुसरें की  बुराईयों से घृणा नहीं कर रहे बल्कि एक दुसरे से घृणा कर रहे हैं  ........ दुसरे साफ-सुथरे  हो जाएँ  .. अपने बारे में विचार किये बगैर ...इन बातों का कैसे असर होगा दूसरों पर नहीं समझना चाहते ..!!! 



1 टिप्पणी:

यदाकदा ने कहा…

बात पते की है, लेकिन अण्णा कानून के जरिये एक स्वच्छता अभियान की शुरूआत करना चाहते हैं। शायद उनका अगला कदम यही होगा। देखो उन्होंने अपने गाँव रालेगणसिद्धी की दिशा व दशा कैसे पलट दी। वे देशवासियों को जगाना चाहते हैं। ताकि धीरे-धीरे पूरा देश ही रालेगणसिद्धी जैसा सिद्ध बन जाए।