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शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

कहाँ से शुरु करें ...कोई तो राह मिले ..!!





                                जब  भी कोई समस्या सामने आये... उसका कोई ओर दिखे ना छोर तो जाने की समस्या बड़ी नहीं बल्कि छोटी हैं उसका समाधान बाहर नहीं बल्कि अपने अन्दर है...क्योकि हमारे मन का  प्रमाद उस समस्या के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताकर,  दया का पात्र बनकर एक कोने में पड़ा रहना ज्यादा पसंद करता है /  जैसे  खुद का यथार्थवादी आकलन करके सुधार की कोशिशों में तो उसका जैसे विश्वास ही नहीं रहा / यही कारण है की कल दलाई लामा को भी भारत में व्याप्त बुराइयों ने एक हद तक हिला कर रख दिया ..वे कह गए की " भगवानों और देवतावों को सुबह शाम याद करने वाला हिन्दुस्तानी मानस इतना लाचार क्यों है कि वह अपने अन्दर व्याप्त बुराइयों कि ओर देखना ही नहीं चाहता "  /  निश्चित ही वे हमारे पुराने गौरवमयी तथा समृद्ध इतिहास के व्यापक परिपेक्ष में आज कि परिस्थितियों को लेकर चिंतित थे /   उनका चिंतित होना इसलिए भी  हमें यह सोंचने के लिए बाध्य करता है कि कठोर कानूनों कि बदौलत दुनिया में कहीं भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं लाया जा सका है  / 


                                आज भारत के पास दुनिया का सारा उच्च कोटि का अध्यात्म होते हुए भी वो इतना बेअसर क्यों है कि मानव मन अपने अन्दर कि बुराईयों से छुटकारा नहीं पा रहा है  ?  धार्मिक ग्रंथों का पठन पाठन करके देख लिया, व्रत - उपवास करके भी देख लिया , तीज- त्यौहार भी मनाते ही जा रहे है पर हाथों से  मन कि शांति फिसलती ही जा रही है ...इसलिए क्यों  ना हम इस समस्या पर दुसरे पहलु पर भी गौर फरमाएं  ...राष्ट्र रूपी पेड़ को सुधारना हो तो उसकी जड़े जो एक एक भारतीय के मन से सम्बन्ध रखती है क्या  उस जड़ों का सुधार नहीं होना चाहिए ...आखिर कब तक हम पेड़ पर ऊपर-ऊपर से विषैले रसायनों  का छिडकाव करते रहेंगे ?  कब उसकी जड़ों कि ओर ध्यान देंगे ? 

                            आजकल  जब भ्रष्टाचार से लड़ने कि एक मुहीम सी चल रही है पर क्या वह अपने अंजाम तक पहुँच पायेगी जब तक एक एक भारतीय का मन लालच और अन्य विकारों से मुक्त होने को  लालायित ना दिखाई पड़े ...ख़ुशी कि बात है कि आज हमें ऐसा रास्ता उपलब्ध है जिससे हम अपने मन के विकारों में कमी लाकर उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते है ...ऐसा करके हम ओरों पर कम अपने आप पर ज्यादा  एहसान करेंगे ....सबका भला हो ...सबका मंगल हो !!!!!

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