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मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

विरोध की जरूरत ...

महात्मा गांधी लगातार देश में घूमकर अग्रेजों के खिलाफ अलख जगाते थे । पर जिस भी शहर में जाते उनका सामना लगभग हर जगह सबसे पहले उनके विरोधियों के विरोध से होता था । वे ससमय स्टेशन पहुंच कर गांधी का पुरजोर विरोध करते और उनके खिलाफ खूब उग्र नारे बाजी करते थे ।

गांधी और उनके कुछ साथी एकतरफ चुपचाप खड़े रहकर उनको वैसा करने का भरपूर मौका देते थे । जब वे थक जाते तब उनकी तरफ मुस्कुराकर हाथ हिलाते हुए अपने काम के लिए निकल जाते थे ।

इस तरह बिना विशेषप्रयास के उस शहर या गांव में उनके आगमन के बारे में सबको खबर मिल जाती थी ।

एक बार उनके किसी साथी ने उनसे पूछा बापू आपको इनपर गुस्सा क्यों नही आता तो बापू मुस्कुरा कर बोले - इनपर मुझे प्रेम आता हैं इतनी ऊर्जा ये मुझ जैसे फालतू आदमी पर खर्च करते हैं वर्ना मुझे कौन जानता की गांधी आया हैं ।

बापू तुम फिर आना मेरे देश |||

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