सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

फल देगा भगवान् … !!

       किसने बनाया इस देश की बहुसंख्य जनता को अंधभक्त ?

 … इस देश की जनता को सम्प्रदायों ने ही अंधभक्त बनाया है   … सम्प्रदायों के गर्न्थों की सांकेतिक भाषाओँ और फिर उन सांकेतिक भाषाओँ के व्याख्याकारों ने इस कमी का बहुत फायदा उठाया  ….  सांप्रदायिक ग्रंथों की भाषा का सांकेतिक होना , और जनभाषा में उनका ना होना उसके व्याख्या कारों  के लिए  एक बहुत अच्छा अवसर साबित हुआ  …. भले और कल्याणकारी ग्रंथों की उसने व्याख्याकारों ने मन माफिक व्याख्या की   … जनता को स्वर्ग और नरक के मायाजाल में उलझाया  … और फिर हद तो तब कर दी जब उन्हौने " भगवान् "  को रचा और लगे हाथ यह आश्वासन भी दिया की बस भगवान् को खुश करने का तरीका मुझ से सिख लो , और फिर निश्चिन्त हो जाओ , कितने ही पाप करो तुम्हारे स्वर्ग की टिकिट  पक्की हैं।

              स्कुल कालेजों की शिक्षा लोगों में अंधभक्ति मिटाती  तो आज बड़ी तादाद में पढ़े लिखे लोग इन बाबाओं की तरफ आकर्षित नहीं होते या उनके जाल में फंसते नहीं , या उनका अनुचित बचाव भी करते नहीं।

             मेरे विचार से " जैसे कर्म वैसे फल " यह हर संप्रदाय की भली और कल्याणकारी  सीख  हैं  … इस सीख  को लोगों में खूब प्रचारित करना चाहिए   …. और हमें अपने लोक व्यवहार इस अमिट  , अटल सिद्धांत के मद्देनज़र ही  करना चाहिए।  

…           देखिएगा,  बाबा फिर यूँ गायब हो जायेंगे जैसे कभी हुए ही ना हो !!!


               आने वाला वक्त इसी बात का हैं " हिन्दुस्तान अपनी करनी और कथनी के अंतर को कम करेगा  … वह इसी तरफ अग्रसर हैं  … दुनिया खूब जानती हैं  … हम बहुत भली बातें करते हैं  … पर उनका पालन नहीं करते   ….

            दुनिया हमारी भली बातों  को हमारे कर्मों से परखेगी  … और यह हमारी जवाबदारी हैं  …और दुनिया में सबसे पुरातन संस्कृति होने  का दंभ भरने के कारण  हमारा कर्तव्य भी  हैं  … भारत के नाम के अनुरूप हम पर भारत के   पुनराभ्युदय  के साथ यह बहुत बड़ा भार भी हैं  ….  हम उस भार से भारीत  हैं  … जिम्मेवार हैं।

                                            सबका भला हो !!!