१) इस तरह की भगदड़ वाली घटना और उससे भारी जन-हानि पहली नहीं होती हैं , अनगिनत हैं …. और हर तरह के सम्प्रदाय के पवित्र स्थलों पर हुई हैं , और हर तरह की गुड गर्वर्नेन्स या बेड गर्वर्नेन्स की सरकारों में हुई हैं … यहाँ तक की विदेशों में भी हुई हैं …
२) और हर घटना के बाद कोई सरकारों का इस्तीफा मांगता हैं , कोई प्रशासन को ठीक करता हैं … कोई कोसता है … कोई बचाव करता हैं … कोई दुराव करता हैं ….
३) और हर घटना के बाद सबक सीखे जाते हैं … और उनका पालन होता हैं … और उन सबकों को फिर नयी घटना की आगवानी के लिए भुला भी दिया जाता हैं … और कभी कोई नया कारण भी उत्पन्न हो जाता हैं ….
४) फिर भी जनता जागरूक हो , उसे अंध-विश्वासों से दूर रहना सिखाया जाय , उसे " मन-चंगा तो कठौती में गंगा " कैसे उतारे यह बताया जाय , कण -कण में भगवान् हैं , वह हर भले- बुरे , काले- गोरे , इन्सान के अन्दर हैं यह उसे जंचाया जाय …. उसकी आस्था को विवेक की आँख दी जाय …. यह काम जिसका हैं वह हर बार अन- चिन्हा रह जाता हैं ... वह हर बार सम्प्रदायों की ओट में छुप जाता हैं … वह जो हो उसे आगे आना ही होगा …. उसे जनता को अपने- अपने सम्प्रदायों में ठीक से सुशिक्षित करना ही होगा …. अगर एसा होता हैं …. तब मिनिमम गर्वनेंस की बात खुद- ब - खुद हो जाएगी ….
अन्यथा तेजी से बढती जानकारी के युग में समय रहते वह आगे नहीं आया तो फिर वह ओट में छुपा ही रह जायेगा -- अब बहुत देर तक अफवाहे , दुष्प्रचार , दुराचार , कुटिलता , पाखंड वह चाहे कोई करें टिकेंगी नहीं उजागर होती ही जाएँगी ।
आशा हैं राम सबके भीतर जागेंगे …. हमारे अन्दर का अन्धकार हमने ही फैलाया हैं … उसे हमें ही मिटाना होगा
सबका भला हों !! … सुने यह गीत भला हैं … और सारे दिन ताजगी से भर देगा … इस तरह की काबिलियत से लबरेज हैं …
कसमें-वादें प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या ?