सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

बातें हैं बातों का क्या ?


       १) इस तरह की भगदड़ वाली घटना और उससे भारी  जन-हानि पहली नहीं होती हैं , अनगिनत हैं  …. और हर तरह के सम्प्रदाय के पवित्र स्थलों पर हुई हैं  , और हर तरह की गुड गर्वर्नेन्स या बेड  गर्वर्नेन्स की सरकारों में हुई हैं  … यहाँ तक की विदेशों में भी हुई हैं  …

   २) और हर  घटना के बाद कोई सरकारों का इस्तीफा मांगता हैं , कोई प्रशासन को ठीक करता हैं  … कोई कोसता है  … कोई बचाव करता हैं  … कोई दुराव करता हैं  …. 

               ३) और हर घटना के बाद सबक सीखे जाते हैं  … और उनका पालन होता हैं  … और उन  सबकों को फिर नयी घटना की आगवानी के लिए भुला भी दिया जाता हैं  … और कभी कोई नया कारण  भी उत्पन्न हो जाता हैं  …. 

               ४) फिर भी जनता जागरूक हो , उसे अंध-विश्वासों से दूर रहना सिखाया जाय , उसे "  मन-चंगा तो कठौती में गंगा "  कैसे उतारे यह बताया जाय , कण -कण में भगवान् हैं , वह हर भले- बुरे , काले- गोरे , इन्सान के अन्दर हैं यह उसे जंचाया जाय   …. उसकी आस्था को विवेक की आँख दी जाय  …. यह काम जिसका हैं वह हर बार अन- चिन्हा  रह जाता हैं  ... वह हर बार सम्प्रदायों की ओट में छुप जाता हैं  … वह जो हो उसे आगे आना ही होगा  …. उसे जनता को अपने- अपने सम्प्रदायों में ठीक से सुशिक्षित करना ही होगा  …. अगर एसा होता हैं  …. तब मिनिमम गर्वनेंस की बात खुद- ब - खुद हो जाएगी  …. 

                 अन्यथा तेजी से बढती जानकारी के युग में समय रहते वह आगे नहीं आया तो फिर वह ओट में छुपा ही रह जायेगा -- अब बहुत देर तक अफवाहे , दुष्प्रचार , दुराचार , कुटिलता ,  पाखंड वह  चाहे कोई करें टिकेंगी नहीं उजागर होती ही जाएँगी  ।

               आशा हैं राम सबके भीतर जागेंगे  …. हमारे अन्दर का अन्धकार हमने  ही फैलाया हैं  … उसे हमें ही मिटाना होगा 

                सबका भला हों !!    … सुने यह गीत भला हैं  … और सारे  दिन ताजगी से भर देगा  … इस तरह की काबिलियत से लबरेज हैं    … 

                             
कसमें-वादें प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों  का क्या ?