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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

...राम जाने कब !!



           हमारा देश अतियों का देश हैं ... बुराई का विरोध नहीं होगा ... तो फिर नहीं होगा अतियों तक खिचे चले जायेंगे हर बात को लेकर ... बुराई का विरोध होगा तो फिर आननफानन में इस काम को भी अतियों तक खींचे ले जायेंगे ... हर किसी बात पर दूसरों पर उंगलियाँ उठाना हो तो , कोसना हो तो वह भी अतियों तक .. 

                  नियम तोडना हो तो फिर वही अतियों तक ... नियम बनाना हो तो भी फिर अतियों तक ... अपने लिए सजाएं मांगना हो तो वह भी अतियों तक ... अपनी लालच के ऊपर हमें काबू पाना हो तो उसके लिए भी सख्त से सख्त जन लोकपाल ... 

                   भाई आखिर समझे... हम आपस में एक दुसरे को सुधारने के अंतहीन सिलसिले को स्वयं अपने सुधार के रस्ते के इलावा और किसी तरह ख़तम नहीं कर सकते ...  

                                अब महिलाओं के लिए परदे की बात , पहनावे की बात उठेगी तो फिर उसे अतियों तक ले ही जायेंगे ... कभी खुलेपन के नाम पर , कभी मानवाधिकार , कभी आक्रोश , कभी दमन , कभी शांतिपूर्ण प्रदर्शन , कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ही नाम पर  ... हर बात में लगभग हम संतुलन खो ही देते हैं ... 

                                कभी कभी अंदेशों के संदेशे हमारा प्यारा TV मिडिया  इस तरह देता है की समाचारों को वह भविष्य वाणियों  की शकल देकर बातों को बातों  बातों में  यूँ गोल गोल घुमाता है की सर चकरघिन्नी हो जाएँ  ... 

                               हम कहीं तो अपनी जिम्मेवारी भी समझे ...  कभी तो स्वयं पर नियंत्रण की अहमियत को स्वीकारें ... कभी तो इस दिशा में विचारे ...  

                            यूँ ही यह बात दिल में आज आ गयी की संतुलित व्यवहार कब हमारे जीवन का अंग  बनेगा ...राम जाने