मेरे अन्दर भी एक रावण हैं,
और शायद तेरे भी ,
कुबूल करें तो सबके अन्दर वो हैं ।।
मेरे अन्दर वो हैं मैं नहीं मानता ,
तेरे अन्दर वो हैं तू नहीं मानता ,
सबके अन्दर वो है हर कोई है जानता।।
पर यह आपस का समझौता हैं ,
बुराई पर अच्छाई की विजय का
उल्लास भर मनाओ।।
एक रावण का पुतला बनाओ,
उसे फिर जलाओ ,
ताकि हम सब वैसे ही रहे
जैसे हम चाहते हैं रहना।।
दाग मेरे भी अच्छे हैं ,
और तेरे भी बुरे नहीं ,
कभी मैं तुझे टोकुं ,
कभी तू मुझे।।
बस साल में एक बार यह रस्म निभाए ,
रावण का एक पुतला बनाये ,
उसे जलाएं ,
और फिर आपस में खुश हो
बधाईयाँ दे की पुरे साल
दाग लगने और लगाने में डूब जाएँ ....
आओ आज रावण जलाएं
हैप्पी दशहरा , हप्पी दशहरा ।।