आज हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना साहब की पहली बरसी हैं … सिनेमा का वह दौर जब राजेश खन्ना का सितारा उदय हो रहा था सचमुच में हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम युग था … एक जादू की तरह उनका असर उस समय के भारतीय जन -मानस पर असर छा गया था … सिनेमा की गतिविधियाँ उस समय में उनके इर्द-गिर्द सिमट कर गयी थी …
आज के दादा - दादी , मौसा -मौसी , काका- काकी , मामा- मामी और पापा -मम्मी किसी से पूछ लो … उनकी बात चलते ही आँखों में चमक भर कर कुछ ना कुछ जरुर सुनायेंगे … और नहीं तो कम से कम उनका कोई यादगार गीत गुनगुनायेंगे जरुर …
उस वक्त तक आजाद हुआ हिन्दुस्तान जिम्मेवार तो बन गया था पर रोमांटिक कैसे हुआ जाएँ , यह उसने काका याने राजेश खन्ना जी के साथ सीखा …
कौमी एकता , सामाजिक तानेबाने , संजीदा प्यार की कहानियाँ , सामाजिक कुरीतियाँ सभी विषयों पर बनी उस समय की फिल्मो में रोमांस का तड़का जरुर लगता रहा … लोग झूम- झूम उठे … सहज अभिनय , औसत कद-काठी और चेहरा -मोहरा जैसे उस समय के सामान्य भारतीय का प्रतिनिधित्व करता था ... और राजेश खन्ना साहब की फिल्मो का असर उन पर फिल्माएँ गीतों का असर आज कल के युवाओं में भी कम नहीं हैं ... वे भी अचंभित होते हैं जब उस दौर के गीतों और फिल्मों को देखते हैं ...
उस युग को सलाम , उस वक्त को सलाम और सलाम राजेश खन्ना साहब जैसी शख्सियत को ...एक तेरे कारण ... यह संभव हुआ !!!