बिन कहे ..बिन सुने ...दिल ने ..दिल से ... कर ली बातें ... बातों में ... यहाँ आकर यह गीत अपने चरम पर पहुँच जाता हैं .... और रफ़ी साहब की जादुई और दिल से आती आवाज लता जी की सुरली तानों के साथ बिलकुल यूँ जान पड़ती हैं ज्यूँ खुद प्रकृति यह गीत गा रही हो .... रफ़ी साहब जब गाते हैं तो जैसे पुरे समां पर छा से जाते हैं ... हर साज ... हर हरकत ... मानो उनकी आगवानी में लग जाते हैं ... वहीँ आसपास मंडराते से रहते हैं ... कहीं दूर नहीं जाते ... न थोडा सा इधर उधर होते हैं ।
इस गीत को सुनते हुए यह एहसास खूब गहरे उतर जाता है ... मानो जैसे खुद निसर्ग ही गा रही हैं ... और खूब झूम कर गा रही हैं ... पुरे साल कुदरत जाने कितने रूप धरती हैं ... जाने कितने मंजर दिखाती हैं ... जाने कितनी बार मुस्काती हैं ... कभी डराती तो उससे ज्यादा बार हौसला भी दे जाती हैं ... ।
कुदरत जाने कितनी संभावनाओं के साथ चलती हैं ... चाहे कितने, किन्तु परन्तु हम सोचते रहे ... कुदरत का प्रवाह अपना विशाल अस्तित्व लिए झूम कर चलता रहता हैं ... बस चल पड़ना होता हैं ...बनके साथी राहों में ... और होनी के होने को बस एक हमारा प्रतिक्रिया रहित होना ही सकारात्मकता से भर- भर देता हैं ... और जिंदगानी का सफ़र यूँ ही कट जाता हैं .... बातों - बातों में ।
तो आओ ... चल पड़े हम सभी साथ-साथ बन के साथी राहों के ... जब कहने सुनने की बहुत ज्यादा गुंजाईश नहीं होती हैं ... तब ही भरोसा अपने चरम पर होकर ... हर मुसीबत से हौले से बचाकर बस यूँ ही आगे बड़ता जाता हैं ...
1969 की फिल्म " अनजाना " का यह खुबसूरत गीत आप भी एक बार सुनकर देखे तो जरा ... मानव मन की बारीकियों और निसर्ग का प्रवाह जैसे कई कही अनकही बातों को हौले से कह जाता हैं ... राजेंद्र कुमार साहब और बबिता जी का गीत की मांग के अनुरूप अभिनय कमाल का प्रभाव बनाता हैं ... आनन्द बक्षी जी का सुन्दर गीत ... और लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल जी का संगीत सदा की तरह प्रभावी हैं ही ... ।
रिम झिम के गीत सावन गाये , हाय भीगी भीगी रातों में ।
होठों पे बात जी की आये , हाय भीगी - भीगी रातों में ।।
तेरा मेरा कुछ है नाता , बड़ी वो , ये घटा घनघोर है ।
चुप हूँ ऐसे , मैं कह दूँ कैसे , मेरा साजन नहीं तू, कोई और हैं ।।
के तेरा नाम, होठों पे , मेरे तेरे , सपने मेरी आँखों में ।
रिम झिम के गीत सावन गाये , हाय भीगी भीगी रातों में ।।
मेरा दिल भी , है दीवाना , तेरे नैना भी हैं नादान से ।
कुछ ना सोचा , कुछ ना देखा , कुछ भी पूछा ना इक अनजान से ।।
चल पड़े साथ , साथ हम कैसे , कैसे , बनके साथी राहों में ।
रिम झिम के गीत सावन गाये , हाय भीगी भीगी रातों में ।
बड़ी लम्बी जी की बातें , बड़ी छोटी ये बरखा की रात, जी ।
कहना क्या है , सुनना क्या हैं , कहने सुनने की अब क्या है बात , जी ।।
बिन कहे , बिन सुने , दिल ने, दिल से कर ली बातें , बातों में ।
रिम झिम के गीत सावन गाये , हाय भीगी भीगी रातों में ।।