हमारी फिल्मों का विशाल संसार, सागर के किनारे बसा है ... और फिल्म संसार में संगीत का विशाल भंडार है ... अनेकों अनमोल कृतियाँ हैं ... कई अनमोल रचनाएँ तो अप्रतिम हैं ... ऐसे ही एक फिल्म " काजल " का यह भजन ... " तोरा मन दर्पण कहलायें ..." एक बार सुनो तो मन सारी थकान भूल तरोताजा हो उठता हैं / मीना कुमारी जी का सदाबहार और सहज अभिनय, आशा जी की झरने- सी कलकल आवाज इस गीत को चार चाँद लगाती है /
सच ही तो हैं ... मन से बड़ा न कोय ... एक उजला मन किस कदर संसार के जन-मानस पर छा सकता हैं ... इस बात के हमारे सामने अनेकों उदाहरण हैं ... और हम हैं कि इस दर्पण पर जमी धुल को साफ करने का कोई यत्न ही नहीं करते और न ही कोई उपाय होगा ... इस बात पर विचार करने तक को तैयार हैं / हमारा मन मयूरा नाच उठता हैं जब किसी की खिल्ली उड़ाते हैं या उड़ाई जाती हैं , हमारा मन मयूर उतना ही उदास हो उठता हैं जब हमारी कोई खिल्ली उड़ाता हैं /
हम सबको एक मसीहा की तलाश रहती है ... इधर-उधर कोई मिला नहीं कि बस उसके भरोसे सारे झगड़े छोड़ संसार की उहापोह से दूर चैन की नींद निकालने में देरी नहीं करते हैं ... मन से कोई बात छुप नहीं सकती ... यह सब समझते हुए भी खुद को ठगने के उपक्रम में ताउम्र लगे रहते हैं ... कब हम मनरूपी अनमोल धन की रक्षा के उपायों में अपने आप को झोकेंगे ... संसारी क्षेत्र में उन्नति के लिए ईमानदारी, सदाचार , शिष्टाचार , मानवता , करुणा , दान , मन पर नियंत्रण का अभ्यास और मन की सफाई कितनी जरूरी हैं सब जानते हैं ... पर इन पर कितना अविश्वास हैं ... बेईमानी , अनाचार, भ्रष्टाचार , पशुता , घृणा , लुट , नशे-पते , और मन पर कालिख पोतने के उपायों की मार्केटिंग जोरों पर हैं /
भगवान बुद्ध की वाणी यहाँ हमारा मार्ग बड़ी खूबसूरती से प्रशस्त करती है ....उनके उदगार हैं .... " शत्रु शत्रु की अथवा बैरी बैरी की जितनी हानि करता है, कुमार्ग पर लगा हुआ मन उससे ( कहीं ) अधिक हानि करता है " ....... " जितनी ( भलाई ) न माता पिता कर सकते हैं , न दुसरे भाई -बंधु , उससे ( कहीं ) अधिक भलाई सन्मार्ग पर लगा हुआ मन करता है "
अब इस गीत को प्ले किया हैं तो भाई ६ मिनिट ही तो लगेंगे ... आखिर इस सन्देश को दिल तक जाना हैं ... इसे पूरा होने दे ... और थोडा सोंचे तो सही ...शायद बात बन जाये ... भलाई का राजमार्ग हाथ लग जाये /
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