कितने दिन ?
देश में आजकल कुछ ऐसा माहौल बना दिया गया है की बस दो चार लोग ही बचे हैं जो देश की भलाई के बारें में बहुत कुछ कर रहे हैं ... और उनके साथ जो नहीं खड़ा हैं, वे तो बस निरे निकम्मे हैं ... खासकर युआवों का तो बस भरोसा ही उठा दिया गया हैं ... चारों ओर असंतोष का एक जाल फ़ैलाने की कोशिशें बुरे मंसूबों के साथ बड़ी सफाई से जारी हैं ... किसी को कुछ और नहीं सूझ रहा है ... चलो जो होना हैं होकर रहेगा .... तब तक भाई इस गाने को थोडा सुने जरूर ... गजब की आशावादिता के दर्शन होंगे ... एक दुसरें के बीच बढती घृणा, अविश्वास पूरा नहीं तो थोडा कम जरूर होगा /
हेमा जी का अपना विशिष्ठ अंदाज ... गीत में सहजता के साथ सुखद भविष्य के प्रति आशान्वित होकर जीने के सन्देश का सम्प्रेषण एक निहायत अनमोल और दुर्लभ संयोग हैं .... . आनंद बक्षी साहब की अप्रतिम रचना ...फिल्म " नया दौर " का यह गीत सचिन देव बर्मन साहब का संगीत से तराशा गया हैं ... बड़ी खूबसूरती से निराशा के माहौल से आपको निकाल कर एक खुशनुमा और उम्मीदों से भरे माहौल में लाकर कब खड़ा कर देगा ... पता नहीं चलेगा /
सब ये मानेंगे ! ...जिंदगी पे सबका एक सा हक है !... सारी खुशियाँ सारे दर्द हम आपस में बराबर बाटेंगे ! .... इंसानी दुनिया की बुलंद तस्वीर बनाते है ... नया जमाना आएगा ! ... इसकी आश्वस्ति ... इस गीत के प्राण हैं .
हम सकारात्मक होकर मेहनत का रास्ता चुने ... जितनी- जितनी बार हम किसी काम के लिए दूसरों पर दोष लगाये ... उतनी - उतनी बार हम उस विषय पर समाधान भी पेश करें तो ... हमारे आरोप केवल निराशा के फैलाव को ही नहीं रोकेंगे ! ... आशा का अभूतपूर्व संचार भी करेंगे ! ... तब-तब नकारात्मकता के कारण चुक रही हमारी ताकत में इतना इजाफा हो चूका होगा की सहजता के साथ सफलता की और कदम बढने ही लगेंगे.
धीरे - धीरे गीत सवा तीन मिनिट में समाप्त होने लगता है ...पर पुरे दिन के लिए आप तरोताजगी से भर ही देगा ... और हाँ अगर चाय पीते-पीते गाना सुन रहे हैं तो वह भी गीत सुनते - सुनते ख़त्म होने को आई होगी ... आपका दिन शुभ हो !!!
सब ये मानेंगे ! ...जिंदगी पे सबका एक सा हक है !... सारी खुशियाँ सारे दर्द हम आपस में बराबर बाटेंगे ! .... इंसानी दुनिया की बुलंद तस्वीर बनाते है ... नया जमाना आएगा ! ... इसकी आश्वस्ति ... इस गीत के प्राण हैं .
हम सकारात्मक होकर मेहनत का रास्ता चुने ... जितनी- जितनी बार हम किसी काम के लिए दूसरों पर दोष लगाये ... उतनी - उतनी बार हम उस विषय पर समाधान भी पेश करें तो ... हमारे आरोप केवल निराशा के फैलाव को ही नहीं रोकेंगे ! ... आशा का अभूतपूर्व संचार भी करेंगे ! ... तब-तब नकारात्मकता के कारण चुक रही हमारी ताकत में इतना इजाफा हो चूका होगा की सहजता के साथ सफलता की और कदम बढने ही लगेंगे.
धीरे - धीरे गीत सवा तीन मिनिट में समाप्त होने लगता है ...पर पुरे दिन के लिए आप तरोताजगी से भर ही देगा ... और हाँ अगर चाय पीते-पीते गाना सुन रहे हैं तो वह भी गीत सुनते - सुनते ख़त्म होने को आई होगी ... आपका दिन शुभ हो !!!
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