हमारा देश एक सच्चा गणतंत्र है .... हर बार , हर विपत्ति से वो नया रास्ता ढूंढता है ... हर बार वो लड़खड़ाकर फिर चलने लगता है ... ठीक सोंचने वाले लोग हर पार्टी. हर दल में है।
म. गांधी व्यवस्था का सम्मान करते थे ... वे धीरज और विवेक से काम लेते थे ... अपराध से तो वे घृणा करते थे पर अपराधी के प्रति करुणामयी भाव रखकर उसे स्वयं सुधार कि तरफ प्रेरित और उत्साहित करते थे।
आज कल तो दूसरों पर ऊँगली उठाना फैशन बन गया है .... हम सुधरेंगे जग सुधरेगा की जगह बस " हम सुधारेंगे चल पड़ा है " .
बुद्ध, महावीर , कबीर और नानक की यह भूमि सारी दुनिया को रास्ता दिखाती रही हैं ...विश्वास रहे .. फिर जन- जन का मन अधिनायक बन कर उभरेगा ... फिर लोग समझेंगे की उनकी भलाई किस बात में है ..सबका मंगल हो ...!!!!!