ये पीने - पिलाने के सब है बहाने ।
वो दामन हो उनका के सुनसान सेहरा
बस हमको तो आखिर हैं आंसू बहाने ।
ये किसने मुझे मस्त नज़रो से देखा ,
लगे खुदबखुद ही कदम लडखडाने ।
चलो तुम भी गुमनाम अब मयकदे में ,
तुम्हे दफन करने है कई गम पुराने ।
ये कैसी मोहब्बत , कहाँ के फ़साने,
ये पीने - पिलाने के सब है बहाने ।
( साभार : जगजीत सिंह साहब के एल्बम : desire की एक ग़ज़ल )